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जब रानी की दीदी उसे एफ . आई . आर . दर्ज करवाने को कहती है तो रानी डर जाती है और वह दीदी को सब कुछ छिपाने को बोलती है , वह कहती है कि समाज और कानून उसके साथ इंसाफ नहीं करेगा। तब दीदी उसे समझती है कि अगर हम बलात्कारी से डर कर उसे यूं ही खुला छोड़ देंगे तो वह कल क्या पता किस बच्ची को अपना शिकार बनाएगा। न जाने कितनी ही पीड़िताएं चुप रहकर इस दुनिया से चली गई हैं, अब यह हमारी ड्यूटी है, कर्तव्य है कि हम उन तमाम पीड़िताओ की आवाज बनकर कानून से इंसाफ मांगे ।*इस नाटक का हर संवाद समाज को तमाचा मारता है और संदेश देता है कि कानून में लड़कियों को महिलाओं को संरक्षण मिला है । उन्हें जरूर डरने की नहीं, हिम्मत दिखाने की है।**इस नाटक का निर्देशन एवं लेखन डिंपल अग्रवाल ने स्वयं किया था और बड़ी दीदी का किरदार बड़े ही प्रभावशाली ढंग से निभाया भी।*साथ इस नाटक के सभी कलाकारों ने दर्शकों का मन मोह लिया। *रानी शर्मा के रोल में ,शोभना विस्पुते ने छाप छोड़ी । इसके अलावा राजू बाजपेई (वकील )अशोक रघुवंशी एवं अशोक केशवाल ( थाना प्रभारी एवं पुलिस इंस्पेक्टर),राजेंद्र चौहान( जज),अल्पना आर्य (डॉक्टर),आशा एवं निकिता (महिला पुलिस अधिकारी) ने अपनी अपनी भूमिकाओं की शानदार प्रस्तुति दी।*इस नाटक में , *जीवन कोठारी जो की जाने-माने थिएटर आर्टिस्ट है ,उन्होंने रेपिस्ट की भूमिका के लिए हां की, जबकि इस रोल को करने के लिए सभी ने मना कर दिया था।*दर्शकों को यह नाटक बहुत पसंद आया उनका कहना था कि ऐसे नाटक इंदौर में बार-बार होने चाहिए जो देश को, समाज को जागरूक करें । *यह नाटक संदेश देता है की लड़कियों को डरना नहीं चाहिए बल्कि शोर मचाकर सबको बताना चाहिए कि कोई लड़का उसे परेशान कर रहा है। दुष्कर्मी को दुष्कर्म करने का मौका तभी मिलता है जबकि लड़की डरती है या फिर छुपाती है। लड़कियों को अपने साथ हुए दुष्कर्म की तुरंत शिकायत क्षेत्रीय थाने में करनी चाहिए। कानून से लड़कियों को संरक्षण मिला है उन्हें डरना नहीं चाहिए बल्कि समाज की इस बुराई के खिलाफ पुरजोर आवाज उठानी चाहिए*।डिंपल 6260 507 322