अशोक रघुवंशी 9300006777
दैनिक आगाज इंडिया 2 जनवरी 2025 इंदौर
सत्तन जी की बात ही अलग है किसी भी कार्यक्रम में जाये जगह फूल हो ही जाती है ओर कार्यक्रम ही सत्तन जी के सम्मान का हो तो फिर भीड़ उमड़ना निश्चित है। कोई भी शायर क्रायक्रम में आने मना नही कर सकता।
लेकिन सत्तन जी के नाम का कोई दुरुपयोग करे ये बात ठीक नही है, कार्यक्रम हाल में हम 6 बजे से मौजूद थे, लेकिन बाहर पिछले 15 दिनों से जो विज्ञापन हम देख रहे थे सोशल मीडिया पर ओर अंदर हाल में लगातार जो घोषणाये हो रही थी बस थोड़ी ही देर में कार्यक्रम शुरू होगा। वो 10 बजे बाद हुआ, हमने आयोजको को कॉल किया तो ज्ञात हुआ था कि 8.30 बजे की फ्लाइट है जावेद अख्तर साहेब की ओर 9 बजे तक पहुँच जाएंगे चलिए ये भी हम मान लेते लेकिन जब हमने कार्यक्रम हॉल के चारो तरफ नजर घुमाई तो देखा कि पूरे हाल में जावेद अख्तर के एक भी फ्लैक्स नही है मंच पर व हॉल में सत्तन जी के एक दो फ़ोटो लेकिन बाकी सभी फ्लैक्स में अम्मार अंसारी नजर आ रहे थे, हमने फिर जिज्ञासा वस आयोजक को कॉल किया और पूछा कि जावेद अख्तर साहेब आ तो रहे है न ? अम्मार अंसारी ने फिर वही जवाब दिया हा साहेब आ रहे है हमने फिर कहा कि अगर आ रहे है तो कार्यक्रम हॉल में उनका एक भी फ्लैक्स क्यों नही है ? इसपर फिर जवाब आया जनाब कार्यक्रम जसन ए सत्तन है इसलिए जावेद साहेब के फोटो नही है हमने फिर कहा तो आपके फ़ोटो तो सत्तन जी से भी ज्यादा है कही सम्मान आप सत्तन जी के नाम पर खुद का तो नही करवा रहे ? अब कोई जवाब नही आया और फोन कट तो पूरी कल की कहानी का सार ये है कि मुशायरा तो हुआ सत्तन जी का सम्मान भी हुआ शायर भी इंदौर, जबलपुर,लखनऊ, दिल्ली तक के आये पर वो नही आये जो पहले से ही नही आने वाले थे, इन्दौर पुलिस सायबर ठगी व अन्य तरीके से हो रही ठगी के बारे में रोज हमे बता रही है फिर भी ठगी करने वाले 2 कदम आगे नित नए तरीके ढूंढ ही लेते है ।
जनता की भावनाओ व मुशायरा सुनने के शौकीनों के साथ धोखा करने वाला ओर कोई नही अम्मार अंसारी है कार्यक्रम के लिए बड़ा मंच बास्केट बॉल कॉम्लेक्स हॉल पिछले 15 दिनों से सत्तन जी के साथ जावेद अख्तर के फोटो वाला फ्लेक्स क्यों आखिर क्यों झूट का सहारा ??? क्या हमारे गुरु जी के किसी भी कार्यक्रम को किसी भी सेलिब्रिटी की आवश्यकता है वो भी भीड़ जुटाने ???
ऊर्दू की महफिल में हिंदी का सम्मान बढ़िया है आयोजको को धन्यवाद लेकिन आप को ये ज्ञात होंना चाहिए जिनका आप सम्मान कर रहे हो वो सिर्फ नाम ही काफी है आप सच बोलकर भी भीड़ एकत्रित कर सकते थे, धोका धड़ी करने की क्या आवश्यकता थी ? हम ये नही कह रहे कि सत्तन के सम्मान और जावेद अख्तर के नाम पर आयोजन कर आपने इंदौर से लाखों रुपये उगा लिए लेकिन धोका तो किया है हमारी भावनाओ का हमारे समय का , सत्तन जी को तो पूरा देश जानता पहचानता है ओर उन्हें किसी ऐसे छोटे मोटे सम्मान की आवश्यकता भी नही है लेकिन हा आयोजक अम्मार अंसारी को अपना नाम और सम्मान करवाने का फितूर सर पर चढ़ा है उसका एक उदाहरण था ये कार्यक्रम जशन ऐ सत्तन , कार्यक्रम में सामने का एरिया vip कर उर्दू को बैठाया गया ? हिंदी को क्यों गेट से भगाया जा रहा था ? सत्तन जी के सम्मान के कार्यक्रम में सत्तन जी को जो पास दिये गए बाटने को हिंदी के सम्मान के वो मंच से दूर बैरिकेट्स के बाहर के थे और आयोजक ने अपनी उर्दू को मंच के पास vip दीर्घा बैरिकेट्स के अंदर जगह दी ये बात भी ठीक नही थी।
आयोजको की ये हरकत इंदौर कभी नही भूलेगा वो तो हमारे सत्तन जी का सम्मान था नही तो इतनी शिकायते दर्ज होती कि आगे से सच के सिवाय कुछ बोल भी नही पाते, आप कहते तो सही बास्केट बॉल क्या नेहरू स्टेडियम में पेर रखने की जगह नही मिलती। आप ने सम्मान नही अपमान किया है आज हमारी नजर में अगर आपकी नजर में उर्दू (जावेद अख्तर) ओर हिंदी (सत्यनाराण सत्तन जी) है तो आपने आज हिंदी और सत्तन जी दोनों का अपमान किया है। जबकि आपको पहले से मालूम था जावेद अख्तर नही आ रहे तो फिर क्यों पूरे शहर के बुद्धि जीवी रईस मुस्लिम बिरादरी के लोगो को ओर सत्तन से असीम प्रेम करने वाले इंदौर व प्रदेश के लोगो को झूठ परोसा ?