चेतन खंडेलवाल ने माता के राथो को बढ़ाया
दैनिक आगाज इंडिया 1 अप्रैल 2025 ओंकारेश्वर – (नि प्र ) घर-घर माता जी का पूजन एवं झालरिय देखकर धार्मिक नगरी गूंज उठी उत्सव उमंग के साथ मनाया जा रहा धार्मिक पर्व
गणगौर पर्व को लेकर रानू बाई को लेने धनिया राजा बाड़ी में पहुंचे थे उत्साह उमंग के साथ धार्मिक पर्व मनाया जा रहा है
श्रीमति रक्षा शुक्ला श्रीमति ममता दुबे माया बाई चौहान मीना चौहान . अंकिता शर्मा महिलाओं ने बताया कि
निमाड़ का प्रसिद्ध लोकप्रिय पर्व गणगौर आने का हम रास्ता देखते हैं ओंकारेश्वर में माता का मायका है यहां पर गणगौर हर्षोल्लाह के साथ मनाई जाती है 9 दिनों तक माता की बाड़ी में जवारे बोए जाते हैं जहां नाच गाना होता है चैत्र में आने वाली गणगौर के 2 महीने पहले से ही हम महिलाएं तैयारी करती हैं गणगौर माता की बाड़ी में रथ श्रृंगार कर ले जाते है बहुत ही अच्छा लग रहा है ऐसा लग रहा है कि हमारे घर में विवाह हो रहा है माताजी की पूजा अर्चना करेंगे उत्साह से पर्व को मनाएंगे माता की मन्नतपूरी होने पर रथ को बोडाया भी जाता है 10 -12 दिन निमाड़ में उत्साह और उमंग से या पर्व मनाया गया
1 अप्रैल को शाम परंपरागत अनुसारमाता के सभी र थो को शाम महानिर्वाणी अखाड़े पहुंचे जहां महंत कैलाश भारती संतों ने बाड़ी के मुलीरामा सहित र थो की पूजा अर्चना की तत्पश्चात सभी विशेष रूप से श्रृंगारित किए गए र थो को नर्मदा के घाट पर पहुंचे
पंडित ललित दुबे द्वारा पूजा अर्चना कराई गई तत्पश्चात मन्नत अनुसार चेतन पुरुषोत्तम खंडेलवाल द्वारा माताजी को 1 दिन के लिए मेहमान बनकर अपने घर लाया गया जहां रात्रि जागरण पश्चात 2 अप्रैल को विशाल भंडारे का आयोजन होगा शाम वापस सभी रथ नर्मदा के घाट शोभायात्रा के रूप में पहुंचेंगे शाम को ललित करोड़ी मन्नत अनुसार माता को मेहमान बन के लिए एक दिन के लिए लेकर घर आएंगे शोभायात्रा निकाली जाएगी 3 अप्रेल बुधवार गणगौर माता का विशाल भंडारा दोपहर में होगा शाम को माता जी का विसर्जन नर्मदा की मध्य धार में होगा धार्मिक कार्यक्रम में मांधाता विधायक नारायण पटेल भी ओंकारेश्वर दोनों दिनों शामिल होंगे जिला प्रशासन के निर्देशन में संपूर्ण व्यवस्थाओं के इंतजाम नगर परिषद एवं स्टाफ द्वारा की जा रही है तथा सुरक्षा को लेकर पुलिस स्टाफ व्यवस्था मे लगा सीसीटीवी कैमरे से सतत निगरानी रखी जा रही है
उल्लेखनीय है कि ओंकारेश्वर में माता का मायका होने से चैत्र की दसवीं को माता की बड़ी पंडित ललित दुबे रामचंद्र परसाई गजानन गिरी के यहां बोई जाती हैअनादि काल से परंपरा चली आ रही है

