दैनिक आगाज इंडिया 3 जून 2025 इंदौर, राज्य शासन ने ‘स्वस्थ यकृत मिशन’ के अंतर्गत एक नवीन पहल शुरू की है। इसके अंतर्गत समस्त आयुष्मान आरोग्य मंदिर और स्वास्थ्य संस्थाओं पर फैटी लीवर की स्क्रीनिंग एवं प्रबंधन व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाएगा। इस मिशन का उद्देश्य 30 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के व्यक्तियों में जोखिम के कारकों की पहचान, मूल्यांकन और समुदाय में यकृत स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाना है। साथ ही ऐसे मरीजों को संदिग्ध और पुष्ट मामलों के लिए रैफरल और फॉलोअप करना है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर स्क्रीनिंग प्रारंभ की गयी है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी.एस. सैत्या ने बताया कि वर्तमान समय में नॉन-एल्कोहलिक फैटी लीवर डिसीज एक प्रमुख जन स्वास्थ्य समस्या बनकर उभरी है, जो मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप एवं मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसी बीमारियों से संबंधित है। हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग लीवर है, जो विषाक्त पदार्थ को हटाने, पाचन में मदद करने और शरीर की ऊर्जा को संग्रहित करने का काम करता है। लीवर को स्वस्थ रखना हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस मिशन के अंतर्गत आशा कार्यकर्ता भ्रमण करके समाज को जागरूक करेंगी और लोगों को समझाईश देंगी। इस मिशन के अंतर्गत नॉन-अल्कोहोलिक फेटी लीवर डिसिज को पहचानने के लिए आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्तरों पर सीएचओ द्वारा बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) की गणना की जाएगी। यदि बीएमआई 23 से अधिक है तो उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर चिकित्सकीय जॉच हेतु रेफर किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि नॉन-एल्कोहलिक फैटी लीवर का जोखिम उन लोगों में होता है, जो मोटापा अर्थात जिनका बीएमआई 23 से अधिक और कमर की माप पुरुषों में 90 cm से अधिक और महिलाओं में 80 cm से अधिक है। ऐसे लोग मधुमेह टाईप 2 मधुमेह से ग्रसित होते हैं। ऐसे लोगों की जीवन शैली अधिक समय तक बिना ब्रेक लिए बैठे रहना।
ऐसे मरीज जिनका मेटाबॉलिक सिंड्रोम अनियमित हो अर्थात फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज 100-125 mg/dl हो, ब्लड प्रेशर 130/85 mm Hg हो, HDL Male <40mg/dl, Female <50 md/dl हो, तो उन्हें मेटाबॉलिक सिंड्रोम हो सकता है। उन्होंने बताया कि लीवर को स्वस्थ रखने के लिए स्वस्थ आहार लें, नियमित व्यायाम करें, वजन का प्रबंधन करें, शराब का सेवन पूरी तरह से बंद करें एवं स्वस्थ रहें।
