ओंकारेश्वर ( ललित दुबे )दैनिक आगाज इंडिया 8 जून 2025 खण्डवा,
तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में झूला पुल के नीचे बहती पवित्र नर्मदा के किनारे स्थित चट्टानों पर इन दिनों युवाओं और पर्यटकों के बीच ‘सेल्फी लेने’ का एक नया क्रेज़ देखा जा रहा है। लोग जोखिम उठाते हुए फिसलन भरी चट्टानों पर चढ़कर सोशल मीडिया के लिए रोमांचक तस्वीरें खींच रहे हैं।
यह गतिविधि न केवल खतरनाक है, बल्कि पूर्व में ऐसी ही लापरवाही एक दर्दनाक हादसे में तब्दील हो चुकी है।
पूर्व में हुई थी छात्र की मौत
2016 में इंदौर के एसजीएसआईटीएस संस्थान के दो छात्रों की नर्मदा तट पर सेल्फी लेते वक्त पानी में गिरकर मौत हो गई थी। यह हादसा प्रदेश भर में सुर्खियों में रहा और प्रशासन को इस मुद्दे पर सख्ती बरतने की चेतावनी भी दी गई थी।
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस पर सार्वजनिक अपील करते हुए कहा था कि “जीवन की कीमत पर कोई भी फोटो नहीं होना चाहिए।”
वर्तमान स्थिति चिंताजनक
हालांकि उस हादसे को कई वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से अभी तक नर्मदा किनारे या झूला पुल के नीचे किसी भी प्रकार की चेतावनी पट्टिका या सुरक्षात्मक अवरोध (रेलिंग/बैरिकेड) नहीं लगाए गए हैं।
नतीजा यह है कि सेल्फी प्रेमी बिना किसी रोक-टोक के इन खतरनाक चट्टानों पर चढ़ जाते हैं। यह क्षेत्र फिसलन भरा है और नीचे पानी की गहराई अधिक है। पैर फिसलने की स्थिति में गंभीर दुर्घटना या मौत की संभावना भी बन सकती हैं
ओंकारेश्वर विकास संघर्ष समिति के सदस्यों का कहना है कि प्रशासन को जल्द से जल्द इस क्षेत्र को “नो सेल्फी ज़ोन” घोषित कर चेतावनी बोर्ड लगाने चाहिए।
साथ ही, पुलिस या सुरक्षा कर्मियों की नियमित गश्त भी ज़रूरी है ताकि लोगों को समय रहते रोका जा सके।
सोशल मीडिया पर लाइक्स और शेयर के लिए जोखिम उठाना युवाओं में एक मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति बन चुकी है, जिसे केवल रोकथाम से नहीं, बल्कि जागरूकता अभियान चलाकर ही बदला जा सकता है।
यदि प्रशासन समय रहते चेतावनी बोर्ड, रेलिंग और निगरानी तंत्र नहीं लगाता, तो ओंकारेश्वर जैसे पवित्र और शांत तीर्थ क्षेत्र में एक और दिल दहला देने वाली दुर्घटना हो सकती है।
सेल्फी के जुनून को रोकने के लिए प्रशासन, समाज और स्वयं पर्यटकों को भी जिम्मेदारी निभानी होगी।