स्टेट प्रेस क्लब म. प्र. , का जाल सभागृह में आयोजित तीन दिवसीय भारतीय पत्रकारिता महोत्सव का शुभारंभ

तीनों सत्रों में ए आई के गुण -दोष और परिवर्तन – 2047 पर हुई बैबाक बातें

दैनिक आगाज इंडिया 12 अप्रैल 2025 इंदौर। एक बहुत ही गरिमामय एवं भव्य समारोह में स्टेट प्रेस क्लब.म. प्र. का 17 वा तीन दिवसीय भारतीय पत्रकारिता महोत्सव का शुभारंभ हुआ। पहले दिन तीन सत्र हुए और हर सत्र में देशभर से आए मीडियाकर्मियों और विद्वान वक्ताओं ने एआई के गुण – दोष और परि वर्तन -2047 थीम पर बैबाकी के साथ अपनी बात कही। उद्घाटन सत्र शुरू होने के पहले ही जाल सभागृह का परिसर देशभर से आए मीडियाकर्मियों,इंफ्लूयंसर, शिक्षाविदों और शोधार्थी छात्र – छात्राओ से भर गया था।
भारतीय पत्रकारिता महोत्सव का शुभारंभ भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, वरिष्ठ उपेन्द्र राय, भाजपा के मीडिया प्रभारी आशीष उषा अग्रवाल, स्टेट प्रेस क्लब म. प्र. के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल, सचिव सुदेश तिवारी, नवनीत शुक्ला, रचना जौहरी ने दीप प्राजवलन से किया।

पहले सत्र की शुरुआत एआई की आंधी और भविष्य विषय से हुई। इस विषय पर बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार और भारत एक्स्प्रेस के सीएमडी उपेन्द्र राय ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को मैं एक प्रतिशत भी खतरे के रुप में नहीं देखता हूं। एआई की वजह से हिन्दुस्तान से अगर एक करोड नौकरियां जायेगी तो 95 करोड और आयेगी ही। अगर पत्रकारिता में नौकरियाँ जायेगी भी तो एंकर की जायेंगी, कंटेंट क्रियेटर की नहीं। आदमी की बुद्धि और मशीन की बुद्धि में गहरा अंतर होता हैं। मशीन सीमित सुझाव दे सकती हैं, आदमी नहीं। अगर हम मशीन से कॉम्पिटिशन करेंगे तो अवश्य ही हारेंगे, पर कॉम्पिटिशन करना मूर्खता हैं। हम वो होना चाहते हैं, जो हैं नहीं, और जो हैं वो होना नहीं चाहते। टेक्नोलॉजी कितना ही बड़ा रुप लें ले पर आदमी की बराबरी कभी भी नहीं कर सकती। उन्होंने आगे कहा कि भारत में जब भी नई टेक्नोलॉजी आई हैं हमनें प्रगति ही की हैं। आज का समय पृथ्वी का सबसे सुंदरतम समय हैं। एआई से डरें नहीं, इसका सही तरह से उपयोग करना सीखें।
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष उषा अग्रवाल ने कहा कि पत्रकारिता का एआई से तालमेल बनाना बेहद जरूरी है। एआई और पत्रकारिता का तालमेल इस पेशे को और बेहतर बनाएगा।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचोरी ने पत्रकार और राजनेताओ की समानता पर कहा कि पत्रकारों का इम्तिहान भी हर दिन होता है। नेताओं का पांच साल में एक बार चुनाव के दौरान इम्तिहान होता है। संत विनोबा भावे कहते हैं थर्मामीटर बुखार इसलिये नाप लेता है कि उसमें बुखार नहीं होता है। पत्रकारिता के सप्तऋषियों से मेरे आत्मीय रिश्ते रहे हैं। मैं कह सकता हूं जहां ए आई की उपयोगिता है तो वहाँ इसके उपयोग में संजीदगी और एहतियात भी बरतना होगी। एआई के जिस उपयोग की बात है तो शिक्षा, मीडिया, मेडिकल में इसकी उपयोगिता डेटा जुटाने में है। मै विनम्र प्रार्थना करुंगा कि हम एआई के उपयोग को लेकर एक आचार संहिता बनाएं।
सुधांश यानी धांसु वक्ता है भाजपा के राष्टीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि
आज भारत, भारतीय संस्कृति भी शक्ति भूली हुई है, अब उसे भी धीरे- धीरे वह शक्ति और संस्कृति याद आ रही है। भारत की उस सुप्त चेतना को जागृत करने में पत्रकारिता याद दिलाए। उन्होंने आगे कहा कि आज से 65 वर्ष पूर्व विश्व का मानव चंद्रमा पर गया था आज हम यहाँ एआई पर चर्चा कर रहे हैं। एआई समस्याओं का समाधान भी लेती है। महत्व इस बात का है कि इंटेलिजेंस को प्रयोग करने वाला कैसा होगा।
हमारी बुद्धि प्रतिक्रिया दे सकती है , उसकी अनुभूति नहीं करा सकती। एआई नॉलेज दे देगी।सुख -दुख की अनुभूति एआई में होना मुश्किल है।
इस आधुनिक दुनिया को हम तीन शब्दों में समझे- एटम, कंप्यूटर और जिंस। जब अनूभूति का विषय आएगा तो सबसे बड़ा विशेषज्ञ भारत होगा। दुनिया के अधि काश देशों में बड़ी – बड़ी क्रांतियाँ हुई, भारत में नहीं हुई ,क्योंकि यहां मानव मन के अंदर को खोजा जाता है। भारत संक्रांति की भूमि है ,क्रांति की नहीं। प्रयाग राज कुंभ में 66 करोड़ एकत्र हुए, पर एक भी मारपीट, छेड़खानी का केस दर्ज नहीं हुआ। आदमी सब कुछ पैसे के लिये करता है, कोई शारा रिक बल के लिए तो कोई दौलत -शोहरत के लिये करता है।
जो लोग विदेश से आए कुंभ में वो कुछ ऐसा देख रहे थे कि नागा संन्यासी को कुछ नहीं चाहिए। नागा को थैंक्स दो तो भी भड़क जाए। कंचन, कामिनी, कीर्ति से भी नागा साधु अपने को दूर रखना चाहते हैं।
जैसे -जैसे इस फील्ड में आगे बढ़ते जाएंगे धीरे – धीरे सब समझ में आयेगा।
उन्होंने आगे कहा कि सेकंड वर्ल्ड वॉर तक यूरोप शक्तिशाली था । अमेरिका ने एटम बम बनाया तो सारा पॉवर यूरोप के पास से चला गया और अमेरिका सुपर पॉवर हो गया।
टेक्नालॉजी बदलती है तो दुनिया कैसे बदलती है इसका हम 25-25 साल का विश्लेषण करें तो उस दौर में भारत कहीं भी दिखाई नहीं पड़ता है । एटम बम वाले दौर में हम पीछे खड़े थे। 1950-75 में स्पेस एज में (इसरो) हम दिखने लगे थे। 1975 -2000 में सिलीकान वेली में उभर रहे थे। माइक्रोसॉफ्ट ने बैंगलुरु में कार्यालय बनाया।
2000-25 में कम्प्यूटर से रूस के गैरी कस्पोरोव शंतरंज की बाजी खेल रहे थे।
आज डिजिटल ट्रांजिक्शन में भारत नंबर वन है। 48 प्रतिशत ट्रांजिकशन केवल भारत में हो रहे हैंं
25-50 में अमृतकाल में भारत में लड़ाने टुकड़े टुकड़े करने के प्रयासों को टेक्नालॉजी जवाब देगी।इंटरनेट ने मुस्लिम देशों के लिये चुनौती खड़ी कर दी। टेक्नालॉजी आगे बढ़ी तो भारत की उपलब्धि उभर कर सामने आने लगी। एआई आने के बाद वह कब बनी, कब सूखी उसने बता दिया। त्रेतायुग में बने राम सेतु की हकीकत बताई। टेक्नॉलाजी ने राम मंदिर की मेपिंग कराई गई तो स्ट्रक्चर दिखने लगा। भारत में लड़ाने के प्रयास किए गए इनके पूर्वज, उनके पूर्वज। टेक्नालॉजी ने बता दिया कि बच्चे की गर्भनाल बचाकर रखो। भविष्य में उसे कौनसी बीमारी कब होगी वह यह बता सकता है।
एआई के आने के बाद कोविड का कारण बुहान को माना गया, चमगादड़ खाने लगे। पात्रता ध्यान में रखकर ही ज्ञान देना चाहिए।
आज लेजर गाइडेड मिसाइल आती है, किस देश में किस जगह गिरना है।
जिनोम सिक्वेंसी में किस वर्ग, जाति को मारना है यह होगा। जिनोम सिक्वेंसी से सोसायटी की सोच बदलने वाली है। सारी थ्योरियां ध्वस्त हो जाएगी।
टेक्नालाजी पत्रकारिता को कैसे बदलती है- वर्ष 2004-05 में राजनेताओ से इंटरव्यू में गोदरा के अलावा कुछ पूछा नहीं जाता था। अब उसे सोशल मीडिया ने बायपास कर दिया है। उसने दूसरी जानकारी देना शुरु कर दी।वर्ष 2014 में तो पिक्चर ही बदल गई। जैसे -जैसे मीडिया स्वतंत्र होता गया, भाजपा मजबूत होती गई। 30 कटु 1990 में अयोध्या में गोली चली थी, सरकार ने कहा – वहां तो कुछ हुआ नहीं, लेकिन अखबारों ने गुंबत ध्वस्त होने की हकीकत बताई। 2010 में सेशल मीडिया ने हमें सत्ता दी।
उन्होंने आगे कहा कि एआई के टूल्स को
मैं एआई का अवेकनिंग इंडिया का जागरण का समय मानता हूं। पत्रकारिता में लोकतंत्रीकरण हो रहा है। इंटलेक्चुअल वर्ग पर उसका प्रभाव पड़ने लगा। दूसरे विचार को वर्ष 2014 में स्थान मिलना शुरु हुआ। मीडिया का लोकतंत्रीकरण हो रहा है।
एआई नए डायमेंशन में ले जाएगी । एआई के लिए मोदी सरकार ने दस हजार करोड़ रु का प्रावधान किया है जिसमे से 500 करोड़ रुपये एजुकेशन में रखा गया है। रियल टाईम में भाषा की लड़ाई को चैलेंज बनकर उभरेगा।
नई नौकरिया शुरु होंगी, इनका बेसिक आधार बदलने लगेगा। आने वाले दिनों में ज्यादातर जॉब प्रोजेक्ट पर फोकस वाले होंगे। नौकरी को लेकर होने वाली राजनीति दो दशक में बदल जाएगी।
खास बात यह है कि डिजिटल डाटाबैस बना रहा है भारत 5जी स्पीड का ।एआई जॉब का दौर ही बदल जाएगा।
एआई ने चेहरो के आधार पर गणना की।अब व्यक्ति का मुह ढका होने पर भी एआई ऑपरेटेड कंप्यूटर डाटा बेस से आपको तलाश लेगा। लॉ आर्डर के लिये चैलेज करने वालों को भी चैलेंज रहेगी एआई।
ध्यान लगाओ तो ज्ञान प्राप्त होता है यह बात सौ साल पहले कही जाती थी। आज आप मोबाइल में कोई सा भी अखबार पढ़ सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि एआई का इनपुट डाटा मनुष्य है और मनुष्य का इनपुट डॉटा भगवान है।
कुछ वर्ष पहले ताजमहल की बात आई थी। इसके साथ बुरा एक्सपिरियंस जुड़ा है कि शाहजहां को लिमिटेड पानी मिलता था । वो कहता था हिंदू लोग पितृपक्ष में अपने पितरों को पानी देते हैं।ये टेक्नालॉजी कहां ले जाने वाली है।
भारत का वक्त आ गया है, यही समय है, सही समय है। हमें सुपर पॉवर नहीं विश्व का मित्र बनना है।
एआई से मस्तिष्क जीतेंग
आभार : श्रीवास्तव

न्यूज 18 की एंकर सुदेश नैन ने कहा कि पत्रकारिता में एआई से आया परिवर्तन कामयाबी के रास्ते ही खोलेगा। जो लोग पहले से फील्ड में हैं उनके लिए थोड़ा तकलीफदेह हो सकता हैं। लेकिन हर उम्र- वर्ग के लोगों को इसे सीखना ही होगा। यह एआई की रेस हैं, इस रेस में बने रहने के लिए आपको अपने अंदर परिवर्तन लाना होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की पोजिटिव साईबाबा देखें। एआई का जीवन में आना एक अवसर की तरह देखें ओर सीखने का जरिया भी आपको एआई ने ही दिया हैं। हम आज कोई भी काम चंद समय में प्रोडक्टिविटी के साथ एआई की मदद से कर सकते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार दिनेश के वोहरा ने कहा कि मैं युवाओं से कहना चाहता हूं कि खुद पर भरोसा रखें, आपके पास डिग्री हो न हो स्किल जरुर होनी चाहिए। जिंदगी में हमेशा बदलाव होंगे, बदलाव को अपनाकर उसके साथ चलना होगा। खुद को कभी भी अंडरएस्टीमेट न करें, जो लोग आज आपके साथ नहीं है, वो कुछ समय बाद आपके लिए तालियां बजायेंगे। जीतने वाला वो नहीं जो कहता हैं, वो हैं जो करता हैं। आपके जीवन के अभिनेता आप ही हो। एआई और हममें अंतर इतना ही हैं कि जो उसमें फीड नहीं किया जाता, एआई वो सोच भी नहीं सकता। एआई मनुष्यों से ताकतवर कभी भी नहीं हो सकता है, एआई अगर गब्बर हैं तो हम खुद को जय और वीरू क्यूं नहीं बना लेते है ।

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