अंतर्देशीय मत्स्य पालन 2024-25 में 147 लाख टन तक पहुंच जाएगा, एक दशक में 140 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई दैनीक आगाज इंडिया 12 JUN 2025 Delhi
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय का मत्स्य पालन विभाग 13 जून, 2025 को मध्य प्रदेश के इंदौर में अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि के विकास पर केंद्रित “अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि बैठक 2025” का आयोजन कर रहा है। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह द्वारा की जाएगी, जिसमें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी तथा पंचायती राज राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी तथा अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री श्री जॉर्ज कुरियन भी उपस्थित होंगे। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत 52 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ 7 अंतर्देशीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए प्रमुख मत्स्य पालन परियोजनाओं का उद्घाटन और आधारशिला रखेंगे। इसमें हलाली बांध पर जलाशय मत्स्य पालन क्लस्टर का शुभारंभ और अन्य पीएमएमएसवाई-समर्थित परियोजनाओं की आधारशिला रखना शामिल है, जिसका उद्देश्य जलीय कृषि बुनियादी ढांचे को बढ़ाना, मछली उत्पादन को बढ़ावा देना और अंतर्देशीय क्षेत्रों में आजीविका के अवसर पैदा करना है।
केंद्रीय मंत्री द्वारा मत्स्य सहकारी समितियों, एफएफपीओ और मत्स्य पालन स्टार्ट-अप सहित लाभार्थियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए जाएंगे। मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और जलीय कृषि बीमा भी प्रदान किया जाएगा, जिसका उद्देश्य लक्षित बीमा कवरेज, एकीकृत डिजिटल पहुंच और हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए केंद्रित समर्थन प्रदान करना है। तकनीकी सत्रों में जलाशय लीजिंग नीतियों, टिकाऊ नदी और आर्द्रभूमि मत्स्य पालन, इनपुट आपूर्ति को मजबूत करने और ठंडे पानी के मत्स्य पालन की क्षमता को प्रकट करने जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
इस कार्यक्रम में अंतर्देशीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मत्स्य पालन मंत्रियों के साथ-साथ मत्स्य पालन विभाग, राज्य मत्स्य पालन विभागों और आईसीएआर संस्थानों के अधिकारी भाग लेंगे। यह कार्यक्रम हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जाएगा। यह बैठक क्षेत्र-विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करने, अंतर्देशीय इकोसिस्टम के अनुरूप आधुनिक, पर्यावरण-अनुकूल दृष्टिकोणों को बढ़ावा देने और मत्स्य पालन क्षेत्र में आजीविका के अवसरों, उत्पादकता और दीर्घकालिक आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में काम करेगी।
पृष्ठभूमि
सरकार ने वर्ष 2015 से मत्स्य पालन क्षेत्र को सुदृढ़ करने के लिए विभिन्न प्रमुख कार्यक्रमों के तहत 38,572 करोड़ रुपये का संचयी निवेश किया है। परिणामस्वरूप, भारत के वार्षिक मछली उत्पादन में 104 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो वित्त वर्ष 2013-14 में 95.79 लाख टन से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 195 लाख टन हो गई है। अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में उभरे हैं, जिनकी कुल उत्पादन में 75 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी है। केवल इस वर्ग में 140 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई, जो 2024-25 में 147.37 लाख टन तक पहुंच गई। यह देश के अंतर्देशीय संसाधनों के बेहतर उपयोग को दर्शाता है।
अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि में नदियों, झीलों, तालाबों और जलाशयों जैसे मीठे पानी और खारे पानी के निकायों में मछली पकड़ना और पालना शामिल है। अंतर्देशीय मत्स्य पालन ताजे और खारे पानी में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध प्रजातियों से मछलियां पकड़ी जाती हैं, जलीय कृषि में तालाब और केज कल्चर जैसे मछली पालन के नियंत्रित तरीकों का उपयोग किया जाता है। साथ ही रीसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) और बायोफ्लोक जैसी तकनीकों का भी उपयोग किया जाता है। अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि साल भर उत्पादन, इनपुट और आउटपुट पर अधिक नियंत्रण और लघु स्तर के मछुआरों के लिए बेहतर अवसर प्रदान करते हैं। वे कम उपयोग किए गए या अनुत्पादक तालाबों और खारे पानी से प्रभावित भूमि को उत्पादक उपयोग में लाने का अनूठा लाभ भी प्रदान करते हैं और खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में आय और आजीविका सृजित करते हुए प्रभावी रूप से ‘बंजर भूमि’ को ‘समृद्ध भूमि’ में बदल देते हैं। आईसीएआर के 8 मत्स्य पालन संस्थानों, 4 मत्स्य पालन अधीनस्थ कार्यालयों और मत्स्य पालन विश्वविद्यालयों की प्रौद्योगिकी की सहायता अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि के विकास के लिए महत्वपूर्ण हो गई है। पीएमएमएसवाई और सामुद्रिक क्रांति के तहत, अंतर्देशीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आरएएस, केज, बायोफ्लोक सिस्टम और रेसवे सहित 45,000 इकाइयों को मंजूरी दी गई है, जिससे उत्पादकता 20 गुना तक बढ़ गई है। मछली परिवहन, निगरानी और टिकाऊ प्रबंधन के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी की जांच करने के लिए आईसीएआर-सीआईएफआरआई के साथ एक अग्रगामी योजना भी आरंभ की गई है।
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