दैनिक आगाज इंडिया 13 अप्रैल 2025 इंदौर। स्टेट प्रेस क्लब म. प्र. द्वारा आयोजित तीन दिवसीय भारतीय पत्रकारिता महोत्सव में बोद्धिक सत्रों के बाद शाम को सांस्कृतिक प्रस्तुति होती है। पहली प्रस्तुति पुण्य श्लोका देवी अहिल्या बाई के जीवन पर केंद्रित दास्तानगोई थी, जिसे प्रस्तुत किया लखनऊ के हिमांशु वाजपेयी और प्रज्ञा शर्मा ने।
अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल ने बताया कि यह वर्ष देवी अहिल्या बाई का त्रि- शताब्दी वर्ष है और इंदौर शहर भी देवी अहिल्या के नाम से जाना चाहता है, इसलिए इसकी प्रासंगिक ता और बढ़ जाती है।
कलाकार हिमांशु और
प्रज्ञा ने अपने घंटे भर के मंचन मे देवी अहिल्या बाई के जीवन के विविध प्रसंगो को शब्दों की लड़ियों में पिरोकर एक पूरा चित्र ही सामने रख दिया।
दास्तानगोई पेश करते हुए प्रज्ञा कहती है मराठा नरेश मल्हारराव होलकर ने अहिल्या को अपनी बहू बनाने का मन उसी दिन बना लिया था जब उसे 6 वर्ष की अवस्था में एक मन्दिर में आरती के दौरान देखा था। खांडे राव से विवाह के बाद राज परिवार की बहू बनी अहिल्या बाई ने अपने गुणों से होलकर परिवार का दिल जीत लिया। राज काज के तरीके सीखे, युद् करने की नीति सीखी, शस्त्र विद्या सीखी, लेकिन दुखो ने अहिल्या बाई का पीछा नहीं छोड़ा। कम उम्र में पति खांडेराव की मृत्यु हो गई। होलकरो की परम्परा के मुताबिक पति के संग पत्नी भी चिता में जलकर सती हो जाती।
अहिल्या बाई भी सती के लिए तेयार थी, लेकिन ससुर मल्हारराव होलकर ने ऐसा होने नहीं दिया। वे जानते थे कि अहिल्या बाई राज्य पर आंच नही आने देगी और यह सब सच साबित हुआ।
एक बार तो राधोबा ने चढ़ाई के लिए सेना को तैनात तक कर दिया, लेकिन अहिल्या बाई ने कूटनीति के तहत राधो बा के मंसूबे पर पानी फिर दिया।
दास्तानगोई में मल्हार राव होलकर की मौत, अहिल्या बाई के पुत्र मालेराव की मौत,पुत्री मुक्ताबाई का सती होने की घटना का उल्लेख बड़ी मार्मिक तरीके से किया। इन घटनाओ ने अहिल्या बाई को झक जोरा अवश्य, लेकिन टूटने नही दिया। अपने शासन के दोरान अहिल्या बाई ने बड़ी से बड़ी विपत्ती का सामना किया
और विपरीत परिस्थितियों मे भी धेर्य नहीं खोया।
अहिल्या बाई कुशल शासिका होने के साथ शिव भक्त थी ।उन्होंने इंदौर सहित महेश्वर, काशी, पूना आदि स्थानों पर कुये, बावड़ी, धर्मशालाये, मन्दिर , किले आदि बनाये। उनके राज्य में कारीगरो, कलाकारों, शिल्पकारों आदि को राज्याश्रय प्राप्त था। वे प्रजापालक थी और कर्मनिष्ठ थी।
कलाकारों का स्वागत प्रवीण खारीवाल ने किया। सोनम यादव, रचना जौहरी और शकील अख्तर ने प्रतिक चिन्ह प्रदान किये। संचालन किया आलोक वाजपेयी ने।


















