एग्री स्टैक पर राष्ट्रीय सम्मेलन: डेटा की डिलीवरी में तब्दीली

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कृषि सचिव श्री देवेश चतुर्वेदी ने पारदर्शी, किसान केंद्रित गवर्नेंस में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया

दैनीक आगाज इंडिया  14 JUN 2025  Delhi

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने आज नई दिल्ली के सुषमा स्वराज भवन में “एग्री स्टैक पर राष्ट्रीय सम्मेलन: डेटा की डिलीवरी में तब्दीली” का आयोजन किया। इस सम्मेलन ने डिजिटल कृषि मिशन के अंतर्गत एग्री स्टैक के क्रियान्वयन से जुड़ी प्रगति, चुनौतियों और भविष्य की रूपरेखा पर विचार-विमर्श करने के लिए केंद्र और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच एक रणनीतिक मंच का काम किया।

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इस सम्मेलन की शुरुआत कृषि सचिव श्री देवेश चतुर्वेदी के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने पारदर्शी, किसान-केंद्रित गवर्नेंस हेतु प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने जोर दिया कि राज्यों द्वारा अपडेटेड अधिकारों के रिकॉर्ड (आरओआर) के साथ अपनी किसान रजिस्ट्री को गतिशील ढंग से जोड़ने की और योजना वितरण तथा व्यक्तिगत कृषि सेवाओं के लिए डिजिटल डेटासेट का सक्रिय रूप से उपयोग करने की तत्काल जरूरत है। भूमि संसाधन विभाग के सचिव ने अपने मुख्य भाषण में सटीक किसान पहचान के लिए डिजिटल भूमि रिकॉर्ड और आधार सीडिंग की बुनियादी भूमिका पर बल दिया और ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि के मूल्य और आय में गिरावट की चुनौतियों का जिक्र किया। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव (डिजिटल) श्री प्रमोद कुमार मेहरदा ने एग्री स्टैक के बारे में व्यापक रूप से बताया जिसमें पीएम-किसान, पीएमएफबीवाई, केसीसी जैसी प्रमुख योजनाओं के साथ किसान आईडी का एकीकरण शामिल है। उन्होंने जियोरेफरेंसिंग, डेटा गुणवत्ता के आश्वासन और एकीकृत किसान सेवा इंटरफेस (यूएफएसआई) मानकों के अनुपालन के महत्व पर बल दिया। इस सम्मेलन में किसान प्राधिकरण प्रणाली और डिजिटल रूप से सत्यापन योग्य प्रमाण पत्र (डीवीसी) जैसी आगामी सेवाओं की शुरुआत भी हुई, जिससे किसानों को अपनी भूमि और फसल की जानकारी सुरक्षित और चयनित रूप से साझा करने का अधिकार मिला।

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इस दिन एक प्रमुख उपलब्धि महाराष्ट्र, केरल, बिहार और ओडिशा राज्यों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर और राष्ट्रीय किसान कल्याण कार्यक्रम कार्यान्वयन सोसाइटी (एनएफडब्ल्यूपीआईएस), कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का गठबंधन रहा। यह गठजोड़ किसान रजिस्ट्री से जुड़े प्रमाणीकरण के जरिए ऋण सेवाओं तक बेरोक डिजिटल पहुंच को सक्षम करेगा, कागजी कार्रवाई को कम करेगा और पूरे भारत में छोटे और सीमांत किसानों को लाभ पहुंचाएगा। इसके अलावा, अन्य गणमान्य लोगों की उपस्थिति में कृषि और भूमि संसाधन सचिवों, मुख्य ज्ञान अधिकारी और सलाहकार, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव द्वारा संयुक्त रूप से विशेष केंद्रीय सहायता दिशा-निर्देश जारी किए गए। राज्यों को समर्थन देने के लिए कुल 6,000 करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की गई। इनमें किसान रजिस्ट्री (कानूनी उत्तराधिकारी प्रणाली सहित) के लिए 4,000 करोड़ रुपये और पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर डिजिटल फसल सर्वेक्षण के लिए 2,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए। मुख्य ज्ञान अधिकारी और सलाहकार के नेतृत्व में हुए तकनीकी सत्रों में राज्य स्तरीय डिजिटल बुनियादी ढांचे को बढ़ाने, डेटा की गुणवत्ता में फर्क को दूर करने और डीसीएस मानकों के अनुपालन को लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। सटीकता और दक्षता को बेहतर करने के लिए रिमोट सेंसिंग, एआई/एमएल उपकरण और स्वचालित डेटा सत्यापन तंत्र का उपयोग करने पर जोर दिया गया।

एग्री स्टैक के उपयोग पर राज्यों की जानकारियां शीर्षक वाले एक समर्पित सत्र में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक की प्रस्तुतियां शामिल थीं। महाराष्ट्र ने अपने राज्य में किसानों की रजिस्ट्री में किसानों के नामांकन और एससीए माइलस्टोन को छूने में अपनी प्रगति का प्रदर्शन किया। उसने डेटा प्रोविजनिंग इंजन (डीपीई) की स्थापना, महाडीबीटी में किसान आईडी आधारित नामांकन को सक्षम करने और एआई आधारित सलाह (महाविस्तार एआई) के लिए एक अभिनव सैंडबॉक्स के निर्माण के लिए केंद्र से समर्थन मांगा। उत्तर प्रदेश ने 2024 के लिए एमएसपी ई-खरीद के साथ एग्री स्टैक को एकीकृत करने के अपने इस्तेमाल के बारे में बताया और डीसीएस कार्यान्वयन में क्षेत्र की चुनौतियों को साझा किया। कर्नाटक ने बैंकिंग प्रणालियों के साथ “फ्रूट्स” के एकीकरण, आपदा राहत में एग्री स्टैक के उपयोग और अनुकूलित सलाहकार सेवाओं के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड को जोड़ने सहित बहुस्तरीय नवाचार प्रस्तुत किए।

सीकेओ ने डिजिटल आधार पर सत्यापन की जाने वाली पहचान (डीवीसी) को प्रस्तुत किया जिसे किसान पहचान पत्र भी कहा जाता है। यह किसानों को विशिष्ट लैंड पार्सल और फसलों के लिए प्रमाणित पहचान बनाने की अनुमति देता है। यह डीवीसी डिजिलॉकर के साथ एकीकृत हैं और भूमि म्यूटेशन पर गतिशील रूप से निरस्त हो जाते हैं। इस सत्र ने भूमि संबंधी विवादों के लिए ओटीपी-आधारित लॉगिन, बहुभाषी समर्थन और ऑडियो अपलोड सुविधाओं के साथ एक एकीकृत शिकायत निवारण पोर्टल भी लॉन्च किया। किसान अपनी ओर से सेवाओं तक पहुंचने या शिकायत दर्ज करने के लिए अपने प्रतिनिधियों को अधिकृत कर सकते हैं।

मंत्रालय ने एग्री स्टैक डेटा पर प्रशिक्षित और गूगल जेमिनी का उपयोग करके बनाए गए एआई-आधारित चैटबॉट का भी प्रदर्शित किया, जो कि कई भाषाओं में प्रश्नों का उत्तर देने में सक्षम है। फसल की पहचान में पर्यवेक्षकों की सहायता करने, सर्वेक्षणकर्ताओं का चेहरे से प्रमाणीकरण करने और सिस्टम इंटीग्रेटर्स के साथ साझेदारी में बैकएंड कोड को अनुकूलित करने के लिए और भी एआई टूल्स का परीक्षण किया जा रहा है। इस सम्मेलन का समापन अतिरिक्त सचिव (डिजिटल) द्वारा संचालित एक खुले संवाद के साथ हुआ, जिसमें राज्यों से प्रतिक्रियाएं आमंत्रित की गई और एक-दूसरे से सीखने की सुविधा भी प्रदान की गई। उप सलाहकार श्री अनिंद्य बनर्जी ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। उन्होंने सहयोगी भावना की सराहना की। साथ ही समावेशी, डेटा-संचालित कृषि विकास के विजऩ को साकार करने में राज्यों का समर्थन करने के लिए केंद्र की प्रतिबद्धता को दोहराया।

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