केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) को मिलजुल कर प्रोत्साहित करने का आह्वान कियानवाचार और प्रौद्योगिकी के माध्यम से मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने पर भी जोर

इंदौर में अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि सम्मेलन 2025

दैनीक आगाज इंडिया भोपाल, 13 जून 2025

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्य पालन विभाग द्वारा आज मध्य प्रदेश के इंदौर में केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय तथा पंचायती राज मंत्रालय श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की अध्यक्षता में “अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि सम्मेलन 2025” का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय तथा पंचायती राज मंत्रालय के राज्य मंत्री प्रोफेसर एस.पी. सिंह बघेल और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय तथा अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री श्री जॉर्ज कुरियन भी उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले गणमान्य व्यक्तियों में मध्य प्रदेश सरकार के मछुआरा कल्याण और मत्स्य विकास विभाग के मंत्री श्री नारायण सिंह पंवार, लेह-लद्दाख के केन्द्र शासित प्रदेश लेह, एलएचडीसी के कार्यकारी पार्षद श्री स्टैनजिन चोसफेल, हिमाचल प्रदेश सरकार के उपाध्यक्ष नियोजन श्री भवानी सिंह पठानिया, छत्तीसगढ़ सरकार के मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष श्री भरत लाल मटियार, हरियाणा सरकार के पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्री श्री श्याम सिंह राणा, बिहार सरकार की पशुपालन और मत्स्य पालन मंत्री श्रीमती रेणु देवी और उत्तर प्रदेश सरकार के मत्स्य पालन मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद के साथ-साथ मत्स्य पालन विभाग, राज्य मत्स्य विभागों और आईसीएआर संस्थानों के अधिकारी भी शामिल थे।
केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह ने अपने संबोधन में मत्स्य पालन क्षेत्र में अंतर्देशीय राज्यों द्वारा की गई प्रगति की सराहना की और उत्पादन तथा उत्पादकता को और बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने इस क्षेत्र की प्रभावशाली औसत वार्षिक वृद्धि दर 9% को रेखांकित किया जो सभी कृषि-संबद्ध क्षेत्रों में सबसे अधिक है और लगभग 3 करोड़ लोगों को आजीविका का संबल प्रदान करती है। श्रीसिंह ने नीली क्रांति, मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ), प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, पीएम-मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना और किसान क्रेडिट कार्ड जैसी प्रमुख पहलों पर प्रकाश डाला, जिन्होंने बुनियादी ढांचे, आधुनिकीकरण और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए ₹38,572 करोड़ का निवेश किया है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों ने भारत को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक बना दिया है जहां अंतर्देशीय उत्पादन 2013-14 के मुकाबले 142 % बढ़कर 125 लाख टन हो गया है। राज्यों से अनुरोध किया गया कि वे एफआईडीएफ का बेहतर उपयोग करें, आईसीएआर के साथ समन्वय में कार्यान्वयन कैलेंडर की योजना बनाएं और शीतजल मत्स्य पालन, सजावटी मत्स्य पालन और खारे जलीय कृषि का विस्तार करके निर्यात बढ़ाएं। मंत्री ने पोषण में सुधार, उत्पादन को बढ़ावा देने और विकसित भारत के दृष्टिकोण में योगदान देने के लिए अंतर्देशीय संसाधनों के प्रभावी उपयोग को प्रोत्साहित किया।

प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने कहा कि मत्स्य पालन किसानों की आय दोगुनी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने सभी हितधारकों के प्रयासों की प्रशंसा की। नियमित निगरानी, बेहतर उत्पादकता और प्रौद्योगिकी के अधिक उपयोग को प्राथमिकता के रूप में रेखांकित किया गया। रोहू और कतला की खेती के लिए अमृत सरोवर की क्षमता पर उन्होंने जोर दिया। आपूर्ति और मांग के संतुलन को सुनिश्चित करने के लिए कोल्ड स्टोरेज, परिवहन और बाजार संपर्क को मजबूत करना आवश्यक माना गया। डिजिटल टूल, मूल्य संवर्धन और मछली पकड़ने के बाद की गतिविधियों में काम करने वाले 300 से अधिक मत्स्य पालन स्टार्ट-अप के लिए भी समर्थन को प्रोत्साहित किया गया। श्री जॉर्ज कुरियन ने पोषण सुरक्षा, ग्रामीण समृद्धि और स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने में अंतर्देशीय मत्स्य पालन की परिवर्तनकारी क्षमता पर जोर दिया। उन्होंने पारंपरिक ज्ञान को नवाचार के साथ एकीकृत करने, देशी प्रजातियों को बढ़ावा देने और सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से समुदायों को सशक्त बनाने के महत्व को रेखांकित किया।
मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने क्षेत्र की उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए आईसीएआर के सहयोग से गुणवत्तापूर्ण बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करने और ब्रूड बैंक विकसित करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने खेती के क्षेत्र को 55 से 70 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने और उत्पादकता को 5 से 10 टन/हेक्टेयर तक दोगुना करने के लक्ष्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने खारे जलीय कृषि, सजावटी मछली, ट्राउट और झींगा की निर्यात क्षमता की ओर इशारा किया और मूल्य संवर्धन के महत्व पर जोर दिया। बीज से लेकर बाजार तक पूरी मूल्य श्रृंखला को कवर करने वाले क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण को महत्वपूर्ण माना गया। पट्‌टा नीतियों को मजबूत करने और पारंपरिक किसानों के प्रशिक्षण, कौशल और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने की भी सिफारिश की गई। सतत विकास के लिए आरएएस और बायोफ्लोक प्रणालियों के माध्यम से प्रौद्योगिकी संचार को बढ़ाने का आह्वान किया गया।
श्री सागर मेहरा, संयुक्त सचिव (अंतर्देशीय), मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने उपस्थित सम्मानित लोगों का स्वागत किया और भारतीय मत्स्य पालन क्षेत्र का समग्र प्रस्तुतिकरण किया जिसमें 15 अंतर्देशीय राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा की गई प्रगति पर विशेष ध्यान दिया गया। उनकी प्रस्तुति ने राज्यवार प्रमुख विकास, प्राथमिकता वाले क्षेत्रों और उल्लेखनीय सफलता की कहानियों पर प्रकाश डाला, तथा सभी राज्यों को इन सफल मॉडलों से प्राप्त सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। डॉ. बी. के. बेहरा ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ सत्र का समापन किया।
इस सम्मेलन में प्रमुख क्षेत्रों जैसे जलीय कृषि के लिए उन्नत ब्रूड और बीज; जलाशय और आद्र भूमि मत्स्य पालन का विकास और पट्टा नीति; नदी मत्स्य पालन और लाइसेंसिंग तथा पट्टा नीति; आर्थिक समृद्धि के लिए अंतर्देशीय जलीय कृषि क्षमता और शीतजल मत्स्य पालन के सतत विकास के लिए प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने वाले तकनीकी सत्र भी शामिल थे। विशेषज्ञ प्रस्तुतियों और हितधारक चर्चाओं के माध्यम से आयोजित सत्रों का उद्देश्य एक स्थायी, समावेशी और उत्पादक तरीके से अंतर्देशीय मत्स्य पालन को आगे बढ़ाने के लिए व्यावहारिक रणनीतियों और क्षेत्र-विशिष्ट समाधानों की पहचान करना था। विभिन्न अंतर्देशीय राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मत्स्य मंत्रियों ने अपने क्षेत्र-विशिष्ट संसाधनों, उपलब्धियों और मत्स्य पालन क्षेत्र को मजबूत करने के लिए जारी प्रयासों पर प्रकाश डाला। चर्चाओं में प्रमुख रुकावटों को दूर करने, उत्पादन बढ़ाने और केन्द्रीय योजनाओं के बेहतर उपयोग के माध्यम से बुनियादी ढांचे में सुधार पर ध्यान केन्द्रित किया गया। आजीविका, निर्यात और सतत अंतर्देशीय मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए राज्य के प्रयासों को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ एकीकृत करने पर सामूहिक जोर रहा।
अंतर्देशीय राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मत्स्य पालन मंत्रियों, अधिकारियों और क्षेत्र के हितधारकों के एक केन्द्रित संवाद में शामिल होने की दृष्टि से बैठक एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में सामने आई। उत्पादकता को बढ़ावा देने, मछुआरों की आजीविका का समर्थन करने और अंतर्देशीय मत्स्य पालन क्षेत्र में दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा देने के साझा लक्ष्य के साथ शासन, बुनियादी ढांचे, नवाचार और बाजार संपर्क को आगे बढ़ाने पर चर्चा केन्द्रित थी।

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