मध्यप्रदेश में स्पेसटेक पर पहली उच्च स्तरीय हितधारक परामर्श बैठक सम्पन्न।

आईआईटी इंदौर में आयोजित परामर्श से स्पेसटेक नीति निर्माण को मिली दिशा।


दैनीक आगाज इंडिया 15 जून 2025 इन्दौर, मध्यप्रदेश को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, मध्यप्रदेश शासन द्वारा गत दिवस आईआईटी इंदौर में ‘एमपी स्पेसटेक नीति परामर्श: अवसरों और चुनौतियों की खोज’ विषय पर उच्च स्तरीय हितधारक परामर्श बैठक आयोजित की गई। यह पहली बार है जब प्रदेश स्तर पर स्पेसटेक क्षेत्र के लिए रणनीतिक नीति निर्माण हेतु इतने व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन आईआईटी इंदौर के अनुसंधान एवं विकास डीन प्रो. अभिरूप दत्ता द्वारा किया गया। निदेशक प्रो. सुहास जोशी ने स्पेसटेक की व्यापक संभावनाओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि “स्पेसटेक केवल उपग्रह नहीं, बल्कि इंजीनियरिंग, डेटा, सामग्री विज्ञान और नवाचार का समन्वय है।”
मुख्य वक्ता के रूप में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री संजय दुबे ने नीति निर्माण की सहभागी दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए कहा कि “स्पेसटेक नीति उन्हीं के साथ मिलकर बनेगी, जो इस क्षेत्र को आगे बढ़ा रहे हैं – वैज्ञानिक, स्टार्टअप, छात्र और शिक्षक।”
बैठक में इसरो, डीआरडीओ, आरआरसीएटी, एमसीटीई, सी-डॉट जैसे राष्ट्रीय संस्थानों, आईआईटी इंदौर सहित प्रमुख शैक्षणिक संगठनों, और अभ्युदय, स्पेक्ट्रागेज़, सोरिंग एयरोटेक जैसे अग्रणी निजी स्टार्टअप्स की भागीदारी रही। सैटकॉम इंडस्ट्री एसोसिएशन, जियोस्पेशियल एंड स्पेस इंडस्ट्री काउंसिल एवं इन-स्पेस द्वारा भी विचार साझा किए गए। कार्यक्रम में चर्चा के मुख्य विषय उज्जैन में ऑप्टिक्स और ऑप्टिकल कम्युनिकेशन क्लस्टर की स्थापना,सैटेलाइट ग्राउंड स्टेशन और क्षेत्रीय डेटा केंद्र,पेलोड व कम्पोनेंट्स का स्वदेशी निर्माण,साइबर सुरक्षा और कौशल विकास,स्टार्टअप्स हेतु प्रारंभिक नवाचार समर्थन आदि रहे।
यह ऐतिहासिक परामर्श एमपीएसईडीसी (मध्यप्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम) द्वारा आयोजित किया गया। संस्था की मुख्य महाप्रबंधक सुश्री शिवांगी जोशी ने आयोजन में नेतृत्वकारी भूमिका निभाई। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग अगस्त 2025 तक ‘मध्यप्रदेश स्पेसटेक नीति 2025’ को अंतिम रूप देने हेतु अगले चरणों में सार्वजनिक परामर्श व विभागीय समीक्षा आयोजित करेगा। यह पहल मध्यप्रदेश को भारत के अंतरिक्ष नवाचार मानचित्र पर स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।

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