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लेकिन आवास मेले पर पहुँचने व प्लाट व फ्लैट की जानकारी निकालने पर एक मायूसी सी सभी के चहरे पर देखने को मिली। जानकारी जब हमने जुटाई तो मालूम पड़ा यहाँ नगर निगम का भी एक काउंटर है जिसपर दस बारह एजेंट निगम अधिकारी के साथ बेठे है उनसे जब जानकारी ली तो उन्होंने बताया हमारे पास सिर्फ एक वन बैडरूम हाल किचन फ़्लैट राउ में रिक्त है और हम सिर्फ उसे ही बेचने आये है … एक फ्लैट बेचने के लिए इतनी बड़ी टीम के साथ आवास मेले का सहारा ? बाकी काउंटर्स पर जब हमने पता किया तो कुछ ने तो साफ मना कर दिया कि हमारे पास निम्न ओर मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए जगह बची ही नही सब बिक गए, अन्य कॉउंटरो पर जानकारी ली तो 20 से 22 लाख में 400,600 वर्गफीट का प्लाट बेच रहे थे। इसका मतलब साफ नजर आ रहा था कि सरकार के नाम पर जिला प्रशासन व नगर निगम का उक्त अधिकारी आवास मेले के नाम पर निजी कॉलोनी नाइजर व बिल्डरों की मार्केटिंग कर गरीबो के नाम पर कॉलोनी नाइजरो फायदा पहुँचाने की कोई साजिश लगती है।जिलाधीश महोदय को मौके पर जाकर वास्तु स्थिति की जानकारी लेनी चाहिए।