तीसरा सत्र दल बदल और विपक्ष का बल

सत्ता के लोभ में नेता बदल रहे है राजनीतिक दल

इंंदौर । स्टेट प्रेस क्लब म. प्र. द्वारा आयोजित भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के पहले दिन का तीसरा सत्र भी बड़ा रोचक था। विषय था दल बदल और विपक्ष का बल। इस विषय पर प्रिंट और इलेक्ट्रनिक पत्रकारों ने खुलकर बेबाकी से बात की।
पत्रकार मुकेश मीणा ने कहा कि सता के मोह में राजनीतिक पार्टियों के नेता दल बदल करते है। एक बार ऐसा भी वाक्या हुआ कि एक ही नेता ने एक दिन ने तीन बार दल बदल किया। आयाराम गयाराम अब अधिक हो रहा है। ये स्थितियों लोकतंत्र के लिए भी चुनौती है। दल बदल को रोकने के लिए चुनाव आयोग ने नियम कायदे से लेकर कानून तक बने है।
प्रो. एवं पत्रकार डॉ. संजय दिवेदी ने कहा कि बदल एक मनोवैज्ञानिक समस्या है। दल बदल वैचारिक मतभेद के कारण भी नेता दल बदल जाते है। पढ़े लिखे नेता अधिक दल बदलते है। वामपंथी इसके सबसे बड़े उदाहरण है। दल बदल बुरी बात भी नही है। अगर विचार न मिले तो बदल लो। कांग्रेस सबसे अधिक बार टूटी है। देश में आधी से राजनीतिक पार्टिया का जन्म कांग्रेस की टूट की वजह से हुआ है। जब आदमी धर्म बदलने के लिए आजाद है तो दल बदल के लिए भी व्यक्ति आजाद है।
प्रो. दिवेदी ने आगे कहा कि जब तक राजनीति का शुद्धिकरण नहीं होगा तब तक इस समस्या का समाधान नही होगा। मीडिया ने संचार और संवाद के माध्यम से समस्याओ का समाधान किया, लेकिन आज मीडिया अपनी विश्वनीयता खो चुका। नारद जैसी पत्रकारिता करे जिसमें संवाद हो। समाज को बाटने की प्रवती राजनीति में आज अधिक हो रही है।
टी. वी. पत्रकार एवं एंकर दिवाली शुक्ला ने कहा अधिकांश नेता सत्ता के लोभ के लिए दल बदल करते है। जनता अगर जागरूक रहेगी तो दल बदल कम होगा। मीडिया माइंड सेट करता है।
लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार संजय शर्मा ने कहा कि दल बदल केवल नेता ही नही करते हैं मीडियाकर्मी भी करते है। धन और एडवरटाइजमेंट के लालच में अब मीडिया भी दल बदल कर रहा है।
अपने अखबार और यू ट्यूब चैनल की यात्रा के बारे मे बताया कि मैंने सत्ता के मोह मे दल बदल नही किया, इसलिए आज परेशान हो रहे है। मीडिया के लोग नौकरी के खातिर आज वही लिख रहा है जो अखबार के मालिक और प्रबंधक चाहते है। मीडिया साहसी होगा तो वह दल बदल नही करेगा। आज भी राजनीति जाति के आधार पर बट चुकी है।
अतिथि स्वागत अजय भट्ट, बंशी लाल ने किया। अतिथियों को प्रतीक चिन्ह मीना राणा शाह, ताहिर कमाल सिद्दीकी, दीपक माहेश्वरी,बंसीलाल मतलानी, ने प्रदान किये। संचालन किया आलोक वाजपेयी ने। आभार माना संजीव श्रीवास्तव ने। शुक्ला ने। इस सत्र में श्रोताओं ने वक्ताओ से कई सवाल पूछे जिनके संतोषजनक जवाब दिये गए। इस सत्र में बड़ी संख्या मे पत्रकार उपस्थित थे।

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