आपातकाल के विरुद्ध लड़ाई देश के लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई थी – मुख्यमंत्री डॉ. यादव
कांग्रेस कि देश को एक नेता के रूप में तोलने वाली मानसिकता इंदिरा इज इंडिया एंड इंडिया इज इंदिरा आज भी बरकरार -डॉ सुधांशु त्रिवेदी
आपातकाल में लोकतंत्र के चारों स्तंभों को ध्वस्त करने का कार्य कांग्रेस ने किया था -डॉ सुधांशु त्रिवेदी
दैनिक आगाज इंडिया इंदौर। 25 जून 2025। देश में आपातकाल लागू होने की 50 वीं वर्षगांठ को बुधवार को “संविधान हत्या दिवस” के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में “आपातकाल विभीषिका” विषय पर आयोजित संगोष्ठी में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मुख्य अतिथि के रुप में संबोधित करते हुए कहा कि आपातकाल के विरुद्ध लड़ाई, देश के लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई थी। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान न्यायालयों के फैसलों को पलट दिया गया। आपातकाल देश के लोकतंत्र पर काले धब्बे के समान था। उन्होंने कहा कि आज से 50 वर्ष पूर्व 25 जून 1975 को जिन लोगों ने देश में आपात काल लागू किया था, वे ही इस कलंक के लिए जिम्मेदार हैं और वे कभी भी इस कलंक से मुक्त नहीं हो सकते हैं।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने संबोधित करते हुए कहा कि आज हम स्वतंत्र भारत के इतिहास के सबसे दुखद और कलंकित अध्याय जिसमें आज से 50 वर्ष पूर्व संविधान की हत्या कर दी गई थी उसे स्मरण करने के लिए यहां उपस्थित है आप सभी जानते हैं कि भारत अनादि काल से लोकतांत्रिक परंपराओं का संवाहक राष्ट्र रहा है माननीय प्रधानमंत्री जी ने स्पष्ट कहा है कि वी आर नॉट द बिगेस्ट डेमोक्रेसी इन द वर्ल्ड वी आर मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी क्योंकि यहां वैदिक काल में सभा से लेकर समितियों में वैशाली के गणराज्य तक, कर्नाटक में भगवान वासवन्ना के अनुभव मंडपों से लेकर चोल राज्य में चुनी गई ग्राम सभाओं तक लोकतंत्र की इतनी मजबूत परंपरा थी, परंतु उसे स्वतंत्र होने के बाद जिस तरह कुचला गया आज की पीढ़ी को उसे स्मरण करने की आवश्यकता है इमरजेंसी का दौरा भारत के लिए सिर्फ संवैधानिक दृष्टि से नहीं अपितु विधाई, कार्यपालिका और मीडिया मतलब लोकतंत्र के चारों स्तंभों को पूरी तरह से ध्वस्त करने का कार्य किया गया था भारत के इतिहास में एकमात्र ऐसा अवसर आया है जब किसी प्रधानमंत्री को न्यायालय के द्वारा चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया हो वह भी चुनावी धांधली के आधार पर वो श्रीमती इंदिरा गांधी थी, और इस परिस्थिति के बाद के समय में इमरजेंसी लगाई गई परंतु यह सिर्फ एक पक्ष तक सीमित नहीं थी 25 वां संविधान संशोधन कार्यपालिका के अधिकारों पर नियंत्रण था तो 39वे संशोधन में न्यायपालिका को प्रधानमंत्री के किसी भी कार्य की समीक्षा करने के अधिकार से वंचित कर दिया गया, मीडिया के साथ यह स्थिति थी कि उस समय हर खबर सेंसर होकर जाती थी उस जमाने में लोग एक शेर बोला करते थे “अब तो ग़ालिब जो़क साहिर मिर सरकारी ,शायरी की हो गई तासीर सरकारी” तब सरकार को दिखाकर शेर लिखने पढ़ते थे वह दौर मीडिया ने देखा,विधायिका का यह मजाक उड़ा गया कि सिर्फ लोकसभा का कार्यकाल 1 साल ही नहीं बढ़ाया गया संवैधानिक व्यवस्था है कि इसका एक कोरमा होता है यदि 542 सदस्य लोकसभा में है अगर 10% से कम सदस्य होंगे तो सदन की कार्यवाही नहीं चल सकती कोई प्रस्ताव पास नहीं हो सकता पर उस कोरम समाप्त कर दिया गया यानी उस समय 60 करोड़ के देश में 10-20 लोग मिलकर देश का कानून बना सकते थे, श्री त्रिवेदी ने आगे कहा कि दो संविधानों की बहुआयामी हत्या जो उस कालखंड में हुई और इससे भी बड़ी बात जब हम यहां इंदौर की धरती पर हैं जो पुण्यश्लोका अहिल्याबाई होलकर जी का पुण्य स्थान है जिनकी 300 भी वर्षगांठ हम मना रहे हैं उन्होंने भी इस राष्ट्र को पुण्य भूमि कहा इसको भारत माता कहा हमारे यहां जितने भी बड़े महापुरुष हुए उनके अलावा भगवान के भी जो अवतार हुए चाहे वे राम भगवान हो कृष्ण भगवान हो बुद्ध भगवान हो या महावीर भगवान हो सबने इस धरती को पुण्य भूमि कहा इस धरती को माता कहा लेकिन कांग्रेस ने इंदिरा इज इंडिया इंडिया इज इंदिरा कहकर इस देश को एक नेता के बराबर तोल दिया और यह कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष देवकांत बरुआ का बयान था कांग्रेस ने आज तक इसके लिए माफी नहीं मांगी है। यह अपने आप में खतरनाक बयान था भारत की परंपरा के साथ कितना बड़ा अपमान था डॉ त्रिवेदी ने आगे कहा कि यह तो एक पक्ष है इन्हें इसकी प्रेरणा कहां से मिलती है 1934 में जर्मन नाजी पार्टी का एक बहुत बड़ा कन्वेंशन होता है नाजियों की फिल्म दिखाई जाती है और उसके समाप्त होने के पश्चात हिटलर का राइट हैंड रोडोल फेस नारा लगाता है जर्मनी इज हिटलर एंड हिटलर इज जर्मनी ठीक वही चीज रिफ्लेक्ट होती है इंडिया इज इंदिरा इंदिरा इज इंडिया में, आपातकाल के समय को याद करते हुए डॉक्टर त्रिवेदी ने कहा कि हमारे साथ वे लोग आज भी विद्यमान है जिन्होंने आपातकाल में अत्याचार को सहा है लोगों के नाखून उखाड़े गए एक लाख से ज्यादा लोगों को जेल में डाला गया मिसा और DIR में हमारे बड़े नेता स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेई, श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी, अरुण जेटली जी ,रवि शंकर प्रसाद जी जेल में थे और मोदी जी उस समय भेस बदलकर बड़े नेताओं को यात्रा करवा कर उनके सहयोगी के रूप में कार्य में लगे थे, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी की माता जी का देहांत हो गया तो उन्हें माता के संस्कार में जाने की अनुमति नहीं दी गई इन सारे विषयों को जिन्होंने सहा इसके बारे में युवा पीढ़ी को बताना बहुत आवश्यक है हम वो लोग हैं जो भारत माता और वंदे मातरम बोलते हैं वे वह लोग हैं जो इंडिया इस इंदिरा एंड इंदिरा इस इंडिया कहते हैं,आज इस विषय पर चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि कांग्रेस के चाल ,चिंतन, चरित्र और चेहरे में आज भी यह नजर आता है वह अपने आप को संविधान से ऊपर समझते हैं जब सत्ता में थे तब संवैधानिक दृष्टि से सर्वोच्च एग्जीक्यूटिव बॉडी यूनियन केबिनेट का प्रस्ताव इन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरेआम फाड़ दिया था यह कृत ही इंडिया इज इंदिरा का भाव दर्शाता है, आज कांग्रेस की हालत है कि चुनाव जीते हैं तो संविधान सही है और हार जाते हैं तो संविधान खतरे में आ जाता है यह संविधान की किताब लेकर खड़े होने वालों का मुखौटा और मुखौटे के पीछे का असल बदरंग चेहरा है यह आज दिखाई पड़ता है यदि ये चुनाव जीतेंगे तो चुनाव आयोग सही है यदि ये चुनाव हारेंगे तो चुनाव आयोग गलत है उनके पक्ष में खबर निकलेगी तो मीडिया सही है और उनके विरुद्ध निकलेगी तो मीडिया गलत है यानी जो इनकी मानसिकता इमरजेंसी के समय थी वही यथावत आज भी कांग्रेस के करैक्टेरिस्टिक में दिखाई देती है ।इसलिए इसे ध्यान करने की जरूरत है युवा पीढ़ी को यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि हम इतिहास से सबक ले डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि डेमोक्रेसी असली मायने में इमरजेंसी के बाद आई थी क्योंकि पहले जितने भी चुनाव होते थे उसमें सरकार नहीं बदलती थी सत्ता में बदलाव इमरजेंसी के बाद आना शुरू हुआ यानी हमें स्वतंत्रता मिली थी 1947 में लेकिन वास्तविक अर्थों में राजनीतिक चेतना का उद्भव जेपी आंदोलन के बाद हुआ और जो नवनिर्माण आंदोलन गुजरात में प्रारंभ हुआ था इन दोनों आंदोलनों ने भारत के राजनैतिक पटल को बदल दिया और उसके बाद सरकारें बदलना शुरू हुई, कई राज्यों में तो 1977 के बाद से कांग्रेस सरकार में नहीं आ पाई है इस प्रकार भारत की वास्तविक स्वतंत्रता में एक सांस्कृतिक चेतना का उद्भव 90 के दशक में हुआ श्री राम मंदिर आंदोलन के रूप में और वैचारिक स्वतंत्रता की लड़ाई आज भी जारी है, जो प्रधानमंत्री ने कहा यह अमृत काल है इसमें गुलामी की मानसिकता से अपने आप को मुक्त करना है डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि मैं देश से यह भी कहना चाहता हूं की इमरजेंसी में हमें वास्तविक राजनीतिक लोकतंत्र मिला था फिर सांस्कृतिक लोकतंत्र 20वीं शताब्दी के अंत में मिला और वैचारिक लोकतंत्र के लिए अभी भी संघर्ष जारी है
आज हम लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प लेते हुए और इस बात को सुनिश्चित करते हुए की बाबासाहेब अंबेडकर ने जिस संविधान की रचना की और हमारे संविधान के जो प्रेरक बिंदु थे और हमारे महान परंपरा की लोकतांत्रिक व्यवस्था है उसके अनुरूप इस देश में लोकतंत्र कितना वाइब्रेंट होना चाहिए के कभी भी कोई ऐसे विचार के बारे में सोच ना सके और वह सिर्फ और सिर्फ भारतीय जनता पार्टी एनडीए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के रूप में उसे चरितार्थ करता हुआ दिखाई दे रहा है जहां इमरजेंसी में विपक्ष के सारे नेताओं को जेल में डाल दिया गया था वही हमारी सरकार आने के बाद दलगत भावना से ऊपर उठकर विपक्ष के जितने नेताओं का सम्मान किया गया है चाहे सरदार वल्लभभाई पटेल की सबसे बड़ी मूर्ति बनाना हो या कांग्रेस के बड़े नेताओं में प्रणब मुखर्जी एवं पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न देना हो अथवा कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न देना हो और अनेक कांग्रेस के नेताओं को पद्म देना हो यह दर्शाता है कि लोकतंत्र में वैचारिक विभेद के बावजूद यदि जिस किसी ने भी राष्ट्र के लिए योगदान दिया उसके साथ कैसे खड़े होते हैं यह है लोकतंत्र की उदात्त भावना और वह इमरजेंसी और कांग्रेस की मानसिकता दर्शाती है।
श्री त्रिवेदी ने कहा कि देश में वैचारिक स्वतंत्रता पाने की लड़ाई आज भी जारी है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में हमें “आत्म गौरव” का आभास होने लगा है। श्री त्रिवेदी ने कहा कि लोकतंत्र हमारे देश में 1947 से नहीं बल्कि हजारों वर्ष पूर्व से लागू रहा है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र तो है ही, साथ ही “लोकतंत्र की जननी” भी है।
प्रदेश के पूर्व मंत्री श्री अजय विश्नोई ने इस अवसर पर आपातकाल में अपनी जेल यात्रा के अनुभव सुनाए। उन्होंने बताया कि 25 जून की रात में ही देश में सभी विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भी दिया गया था।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय, श्री तुलसी सिलावट,संभाग प्रभारी श्री राघवेंद्र गौतम, नगर अध्यक्ष श्री सुमित मिश्रा, सांसद श्री शंकर लालवानी, विधायक श्री रमेश मेंदोला, श्री महेंद्र, हार्डिया ,श्री गोलू शुक्ला, श्री मनोज पटेल, श्री मधु वर्मा, जिला अध्यक्ष श्रवण सिंह चावड़ा,वरिष्ठ भाजपा नेता श्री कृष्णमुरारी मोघे, पूर्व विधायक श्री सुदर्शन गुप्ता, श्री गोपी कृष्ण नेमा, अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम के अध्यक्ष श्री सावन सोनकर, सफाई कर्मचारी आयोग के अध्यक्ष श्री प्रताप करोसिया,प्रदेश प्रवक्ता श्री आलोक दुबे,प्रदेश मीडिया प्रभारी दीपक जैन टिनू, मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
रितेश तिवारी
मीडिया प्रभारी
भाजपा,इंदौर
नितिन द्विवेदी
सह मीडिया प्रभारी
भाजपा,इंदौर







