इंदौर की धरती, जहाँ लोकमाता देवी अहिल्या बाई होलकर जैसी अद्भुत नारी शक्ति ने संकल्प, सेवा और न्याय की मिसाल कायम की थी — वहीं की एक और बेटी पूजा गर्ग ने आज आधुनिक भारत में साहस, संघर्ष और संकल्प का नया इतिहास रच दिया है।
भारत की अंतरराष्ट्रीय पैरा एथलीट पूजा गर्ग ने अपनी अद्वितीय साहसिकता, अडिग आत्मबल और देशप्रेम के बल पर ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया — जो न केवल भारत के लिए गौरव का विषय है, बल्कि पूरे विश्व पटल पर नारी शक्ति और मानव साहस का प्रतीक बन गया है।
पूजा गर्ग विश्व विजेता बनी। कैंसर और स्पाइनल इंजरी को हराकर नाथुला पास फतह किया था। लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में इनका रिकार्ड दर्ज हुआ है। इस ऐतिहासिक कीर्तिमान पर दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने उनका किया सम्मान है।
कभी-कभी एक व्यक्ति की यात्रा, पूरी मानवता की प्रेरणा बन जाती है
भारत की अंतरराष्ट्रीय पैरा एथलीट पूजा गर्ग ने अपनी अद्वितीय साहसिकता, अडिग आत्मबल और देशप्रेम के बल पर ऐसा ही एक इतिहास रचा है — जो न केवल भारत के लिए गौरव की बात है, बल्कि विश्व पटल पर भी एक नई मिसाल बन गई है।
स्पाइनल इंजरी और कैंसर — दोनों को हराकर रचा इतिहास
पूजा गर्ग ने उस दर्द और संघर्ष को भी हराया जिसे सुनकर सामान्य मनुष्य डर जाता है। स्पाइनल इंजरी से उबरना ही एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन जब कैंसर ने भी उन्हें घेरा, तो उन्होंने उस चुनौती को भी स्वीकार कर, अपने हौसले की तलवार से दोनों को परास्त कर दिया और फिर — वर्ल्ड कैंसर डे पर, देश के अंतिम सिरे पर स्थित नाथुला पास (सिक्किम) पर तिरंगा फहराकर न केवल एक अद्वितीय यात्रा को पूरा किया, बल्कि कैंसर अवेयरनेस के लिए एक सशक्त और भावनात्मक संदेश भी दिया। उनका कहना है कि “मैं रुकी नहीं, क्योंकि मैं टूटी नहीं”।
अभियान नहीं, जनआंदोलन था यह सफर
पूजा की यह यात्रा केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं थी, यह कैंसर जागरूकता, मानव अधिकारों और विशेष जनों की शक्ति को विश्व के सामने प्रस्तुत करने वाला एक आंदोलन बन गया। इंदौर से नाथुला पास तक की यह यात्रा उन्होंने 4-व्हीलर बाइक पर पूरी की, जिसमें उन्हें पार करनी पड़ीं हजारों फीट ऊंचाई, कठिन पहाड़ी रास्ते, कमी ऑक्सीजन, तेज हवाएं और भीषण ठंड — लेकिन पूजा का हौसला हर चुनौती से ऊंचा निकला।
लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम — बनीं विश्व की पहली पैरा महिला
पूजा गर्ग को इस अद्वितीय साहसिक कार्य के लिए लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने आधिकारिक रूप से मान्यता दी। वे दुनिया की पहली पैरा महिला बनी जिन्होंने इतनी दुर्गम यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा किया — वह भी कैंसर से लड़ते हुए।
लंदन बुक की आधिकारिक समिति ने इस मिशन को “मानव शक्ति और संकल्प का प्रतीक” बताते हुए पूजा का नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया। यह मान्यता न केवल भारत के लिए, बल्कि विश्वभर में कैंसर सर्वाइवर्स और दिव्यांगजनों के लिए एक नई प्रेरणा बन गई है।
सम्मान समारोह
दिल्ली में आयोजित विशेष कार्यक्रम में पूजा गर्ग को सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने स्वयं उन्हें “शक्ति की प्रतीक” बताते हुए प्रमाण पत्र प्रदान किया।
कार्यक्रम में लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के यूके से आए प्रतिनिधि दल के सदस्यों सहित अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साईं) के महानिदेशक एवं अधिकारियों द्वारा भी उन्हें सराहा गया।
पूजा गर्ग: जीवन की योद्धा, नई पीढ़ी की प्रेरणा
पूजा गर्ग आज सिर्फ एक नाम नहीं हैं — वे हिम्मत, इंसानियत और उम्मीद की चलती-फिरती प्रतिमा हैं। वे एक इंटरनेशनल मेडल विनर, कैंसर अवेयरनेस चैंपियन, मोटिवेशनल स्पीकर, और हजारों लड़कियों की आदर्श हैं। उनकी यही सोच उन्हें सबसे अलग बनाती है। यह केवल पूजा गर्ग की कहानी नहीं है — यह हम सबकी प्रेरणा है।(देवी अहिल्या 300वीं जयंती- विशेष)

