अंकुश मिश्रा

नर्मदायाः परं तीर्थं, नास्ति भूर्लोकसत्तम।
नास्ति मोक्षप्रदा गङ्गा, यथा नर्मदया सदा॥

माँ नर्मदा से बढ़कर कोई तीर्थ नहीं है। मोक्षप्रदायिनी माँ गंगा से भी वह पुण्य फल प्राप्त नहीं होता, जो मां नर्मदा के दर्शन और परिक्रमा से प्राप्त होता है।

दैनिक आगाज इंडिया 5 जनवरी ,

नर्मदा परिक्रमा भारत की उन पवित्रतम यात्राओं में से एक है, जिसका उल्लेख न केवल धर्मग्रंथों में मिलता है, बल्कि यह आध्यात्मिक साधना का भी अद्भुत मार्ग है। नर्मदा को ‘जीवित माता’ कहा जाता है, और इस नदी के चारों ओर की परिक्रमा को मोक्षदायिनी माना गया है। यह यात्रा केवल एक भौतिक सफर नहीं है, बल्कि यह मनुष्य के अंतर्मन को जागृत कर उसे आत्मिक शांति प्रदान करती है। नर्मदा परिक्रमा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह व्यक्ति को अपनी सीमाओं से परे जाकर प्रकृति के साथ एकाकार होने का अवसर भी देती है।

श्री आनंद भट्ट, जो मध्य प्रदेश सरकार के मंत्रालय में कार्यरत हैं, ने एक बार संतों के साथ नर्मदा के तट पर कुछ किलोमीटर की यात्रा की थी। संतों की भक्ति, उनकी साधना, और मां नर्मदा की कृपा से मिली उनकी आंतरिक शक्ति ने श्री आनंद भट्ट को गहराई तक प्रभावित किया। संतों के चेहरे पर दिखने वाली शांति, उनके चरित्र की दृढ़ता और उनका निस्वार्थ समर्पण, यह सब कुछ श्री आनंद भट्ट के हृदय में गहराई से उतर गया।

वर्ष 2022 में उन्होंने नर्मदा परिक्रमा को कार से 15 दिनों में पूरा किया। यह यात्रा उनके लिए केवल मार्ग की जानकारी हासिल करने का जरिया नहीं थी, बल्कि यह उनके भीतर एक नए संकल्प का बीज बोने वाली यात्रा थी। कार से यात्रा के दौरान उन्होंने नर्मदा तट के सौंदर्य, श्रद्धालुओं की भक्ति, और परिक्रमा पथ को निकट से देखा और अनुभव किया। लेकिन उनकी आत्मा संतुष्ट नहीं हुई।

*70 दिनों में क़रीब 3300 किलोमीटर की साइकिल यात्रा का संकल्प*

श्री आनंद भट्ट ने लगभग 3300 किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा को साइकिल से पूरा करने का संकल्प लिया है। इस यात्रा को वे 70 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य रखते हैं, जिसमें वे प्रतिदिन लगभग 50-55 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं। यह यात्रा केवल एक भौतिक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मिक यात्रा है। श्री भट्ट मानते हैं कि मां नर्मदा के आशीर्वाद से हर दिन उन्हें नई ऊर्जा और नई प्रेरणा मिलती है। उनके अनुसार, यह यात्रा किसी विशेष योजनाबद्ध लक्ष्य के लिए नहीं की जा रही है। इसका कोई भौतिक परिणाम नहीं है। यह यात्रा स्वयं में एक अनुभव है, जहां प्रकृति के सान्निध्य में हर दिन नया संदेश, नया संतोष मिलता है।

*नर्मदा परिक्रमा केवल यात्रा नहीं है, यह आत्मा का जागरण है*

श्री आनंद भट्ट का मानना है कि प्रकृति हमें वह शांति और शक्ति देती है, जिसे हम आधुनिक जीवन की भागदौड़ में भूलते जा रहे हैं। नर्मदा परिक्रमा केवल कदमों का सफर नहीं है, यह आत्मा का जागरण है। यह यात्रा उन्हें हर दिन प्रकृति के साथ एक नया रिश्ता जोड़ने का अवसर देती है।

*मानव और प्रकृति: सनातन जीवन का दर्शन*

नर्मदा परिक्रमा की यात्रा हमें अनुभव कराती है कि हम सभी प्रकृति का अभिन्न अंग हैं। आधुनिक जीवनशैली ने हमें प्रकृति से दूर कर दिया है, लेकिन हमारा अस्तित्व प्रकृति से ही जुड़ा हुआ है। जब हम प्रकृति के करीब होते हैं, तभी हमें वास्तविक शांति का अनुभव होता है।

आज के दौर में युवाओं और पर्यटकों का इको-टूरिज्म और नेचर टूरिज्म की ओर बढ़ता आकर्षण यह दर्शाता है कि हमारे भीतर प्रकृति के प्रति सहज प्रेम और आकर्षण विद्यमान है। सनातन जीवन पद्धति में प्रकृति का सम्मान और उसके साथ संतुलन बनाए रखने की शिक्षा दी गई है। हमारे त्योहार, परंपराएं और रीति-रिवाज इस बात के प्रमाण हैं कि भारतीय संस्कृति में प्रकृति का कितना महत्व है।

नर्मदा जयंती, मकर संक्रांति, वन महोत्सव, गंगा दशहरा जैसे त्योहार केवल उत्सव नहीं हैं, बल्कि वे हमें प्रकृति के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर प्रदान करते हैं। इन त्योहारों में प्रकृति के हर तत्व – जल, वायु, भूमि, आकाश – के प्रति आदर व्यक्त किया जाता है।

*भारत: आध्यात्मिक ज्ञान की अमूल्य भूमि*

भारत हमेशा से आध्यात्मिक ज्ञान और प्रकृति के प्रति गहरे सम्मान का केंद्र रहा है। यहां के संतों, साधकों और श्रद्धालुओं ने हमेशा प्रकृति को पूजनीय माना है। श्री आनंद भट्ट जैसे लोग इस आध्यात्मिक महासागर से एक बूंद को पकड़ने का प्रयास कर रहे हैं। उनकी यह यात्रा न केवल उनके लिए, बल्कि उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो आत्मिक शांति की तलाश में हैं।

माँ नर्मदा की परिक्रमा हमें सिखाती है कि वास्तविक प्रगति केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं है, बल्कि आत्मा की शांति और प्रकृति के साथ संतुलन में है। यह यात्रा हमें यह भी सिखाती है कि जब हम प्रकृति के साथ जुड़ते हैं, तब हम अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानते हैं।

*प्रकृति का सम्मान: जीवन का मूल मंत्र*

नर्मदा परिक्रमा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, यह आत्मा और प्रकृति के बीच एक गहरा संवाद है। श्री आनंद भट्ट जैसे नर्मदा परिक्रमावासियों की यात्रा हमें याद दिलाती है कि हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए, उसकी देखभाल करनी चाहिए। यही जीवन का वास्तविक मार्ग है।